? विनम्र निवेदन ? ©अंकुश आनंद

Ankush Anand at DrabDigital Office
मुकदर में लिखा हो या नहीं, हम बस ये करके दिखाएंगे,
मिट्टी में मिलूं या धूल बन जाऊं, हौसले बेशक ना टूट पाएंगे,
हां ज़िद्दी है मन, थोड़ा बच्चा भी है,
कुछ आलोचक मिले, चलो अच्छा भी है,
आज पूछूं तुमसे, बताओ भाई बात क्या है,
तुम भूतकाल ज्ञाता हो, हमे भविष्य की चिंता है,
हम उड़ने चले, तुम पनही पकड़ लिए,
अरे पंख हैं उड़ने को, छिनें हो पनही किस लिए,
वाह रे जनाब, करते अच्छा मज़ाक हो,
हम खाली पन्नें है, तुम भरी किताब हो,
बारिश करके बुड़बक मुझको कैसे मिटा देगा,
भला खाली पन्नें का पानी भी क्या बिगाड़ लेगा,
क्यों पग्ले, बस एक बात तो बता दे यार,
तुझसे ना हुआ, तो अब मुझे भी रुकवादेगा,
कहा ना दोस्त, अभी हौसले जो हैं टूटेंगे नहीं,
वापिस हाथ मिला लो कसम से रूठेंगे नहीं,
गुज़ारिश थी तुमसे बस ये रंग ना दिखलाओ,
अपने हो, जरूरत है तुम्हारी, बस साथ निभाओ,
याद करता हूं वो दिन जब हम साथ हुआ करते थे,
दूसरे के बिना कैसे रह पाएंगे एक भी पल इस बात से डरते थे,
हमने मन की राह को चुनी तुम अनजान हो गए,
दुनिया की पुरानी किताब में तुम हमे ही खो गए,
रुकने का नाम अब नहीं है, हमारा अब ध्यान कहीं है,
साथ होते अच्छा लगता, अपना तो सब मंज़िल-मुकाम वहीं है
मुकदर में लिखा हो ना हो, तो भी हम करके दिखाएंगे,
आलोचना नहीं, इंतजार करना दोस्त, हम फतह हासिल करके आएंगे ।।।
© अंकुश आनंद
very nice poem….fudu kismt har baar nhi hoti .koshish krne walon ki kabhi haar ni hoti?
Thanks…. ????
dil ko chu liya teri lines???❣️❤️
? Thanks
Gdri bn gya poet? Nice bhai
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Osm broo …great work …
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Nice ?
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बहुत खूब ???????
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As usual boht sunder❤❤❤
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Shi hai sahab ,
Chlte rho bdhte rho ,
Aur likhte rho..
???
Superb brdr
Thanks