आंखों में नमी,
होठों पर ये प्यारी हंसी कैसी है,
सब और है खुशहाली सी,
अन्दर ख़ामोशी जैसी है,
गुमसुम सी मेरी ये आंखें,
कभी थोड़ा भीग सी जाती हैं,
कभी मैं सो नहीं पता चैन से,
कभी ये पलकें झपकना भूल जाती हैं।
ना हीं कहना किसी से कुछ,
न किसी को बताना हैं,
मेरे मन का आशय तो रहा,
हमेशा दूसरों को हँसाना है।
शुक्रिया करना तो था अदा,
जाकर उस भगवान का,
ख़ुशी का होता वजूद नहीं,
दिया होता न तोहफ़ा दोस्ती के नाम का।
ये दिल तो प्यार का भूखा है,
मिले साथ तो झूमता, मुस्कुराता है,
रह जाता जब अकेला पल भर के लिए,
तो फिर उन ख्वाबों में डूब जाता है।
कुछ अन्दर भी और बाहर भी,
अजीब सा मौसम हो रहा है,
न तेज़ गर्मी है, न भारी बरसात,
ख़ुशी सी है पर कोई रो रहा है,
मीठी सी ख़ुशी के साथ,
एक चुभन भी जगाये रहती है,
कब मिलेगी वो आग,
चूल्हा जो जलाये रखती है,
लगता तो है सब कुछ है मेरे पास,
लेकिन फिर ये कमी कैसी है,
बिन सहारे के न दिखे जो,
ये उस प्रकाश जैसी है,
मुझसे न मिला अभी वो साया,
किस्मत क्या छुपाये रखे है,
उलझने और अटखेलियाँ सब नियंत्रित,
जवाब व ख्वाब अब ये बेशक सच्चे हैं,
वक्त सयंम बरत रहा है,
हाँ अब मुझे भी समझ आ रही है,
बहकना नहीं, रहना चौकन्ना, इंतजार में धड़कन
अब गोपनीय ‘हलचल’ गा रही है,
Nice??
Thanks
Apne kabir Singh(Mtlb kabirdas?)
???achh
Very nice
Thanks